दतिया |53 वर्षीया विधवा बैजंती परिहार का वर्षों पहले देखा खुद के मकान का सपना सरकार की मदद से हकीकत में तब्दील हो चुका है। जिला मुख्यायल से करीब दस किलोमीटर दूर स्थित ग्राम मुरैरा की बैजंती ने अपना यह सपना प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत पक्का मकान बनाकर पूरा किया।
बैजंती अपने पति विजय के साथ कच्ची खपरैल में रहती आई थीं। उनके पति दिहाड़ी मजदूर थे। इसलिए दिहाड़ी मजदूर रहते हुए वर्षों निकाल दिए और पक्के मकान का सपना लिए एक दिन चल बसे, पर वह स्वयं का मकान नहीं बना पाए।
बैजंती भी अपने पति की तरह खुद का मकान होने का सपना देखा करती थीं। मगर आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण पक्का घर बनवाना उनके लिए भी मुमकिन नहीं था। इसलिए उनका सपना पूरा नहीं हो सका।
आखिरकार बैजन्ती के इस सपने को राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत एक पक्का मकान बनवाकर पूरा कर दिया। बैजन्ती कच्ची खपरैल से निकलकर पक्के मकान में आ गईं। बरसात में कच्ची खरपैल से पानी टपकने से उन्हें रात-रात भर जागकर काटनी पड़ती थी।
पक्के मकान से उत्साहित बैजंती कहती हैं कि बरसात में खपरैल में पानी गिरने से हालत खराब हो जाती थी। सरकार ने हमारी परेशानी दूर कर दी है।
बैजंती का सच हुआ खुद के घर का सपना (सफलता की कहानी)